भारतीय महिलाओं ने दुनिया भर में अपना लोहा मनवाया है। आज भारतीय तैराक आरती साहा का जन्मदिवस है। 29 सितंबर 1959 को इंग्लिश चैनल पार करने वाली पहली एशियाई महिला के रुप में आरती साहा दुनिया के सामने आईं। उन्होंने केप ग्रिस नेज़ से सैंडगेट तक का 42 मील का सफर तैरते हुए पार किया था।
बचपन से तैराकी के सीखे गुर
आरती साहा का जन्म कोलकाता के बंगाली परिवार में हुआ था। 5 साल की उम्र में उन्होंने तैराकी में पहला गोल्ड मैडल जीता था, यहीं से उनके ओलंपियन बनने का सफर शुरु हुआ था। सचिन नाग ने गुरु के रुप में 5 वर्ष की उम्र से उन्हें प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया था।
शुरुवाती करियर में साहा पर लोगों की नज़र तब पड़ी जब उन्होंने 1949 में राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया। 1951 में उन्होंने डॉली नज़ीर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ अपने करियर का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। साहा और नज़ीर को भारत की ओर से 1952 ओलंपिक में जाने का मौका दिया गया।
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जब नेहरु ने की आरती साहा की मदद
इंग्लिश चैनल पार करने की प्रेरणा आरती को बांग्लादेशी तैराक ब्रोजन दास से मिली जो 1952 में इंग्लिश चैनल पार करने वाले पहले एशियाई शख्स बने थे। ब्रोजन दास ने ही 1953 में होने वाली बटलिन इंटर्नेशनल क्रॉस चैनल स्विमिंग रेस के लिए साहा का नाम आगे किया था। लेकिन इंग्लैंड जाने के लिए आरती साहा के पास पैसों की तंगी थी। तब जवाहर लाल नेहरु उनकी मदद के लिए आगे आए थे।
जब रचा गया इतिहास
6 साल कड़ी प्रैक्टिस के बाद जुलाई 1959 को आरती इंग्लैंड पहुंची। 29 सितंबर 1959 को आरती ने इंग्लिश चैनल पार कर इतिहास रच दिया था। उन्होंने 42 मील का सफर 16 घंटे 20 मिनट में तय किया था। भारत को आरती साहा जैसी महिलाओं पर हमेशा गर्व रहा है।
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