साउथ अफ्रीका से भारत लाए गए उदय नाम के चीता की कूनो नैशनल पार्क में मौत हो गई है। एक ही महीने के अंतराल में यह दूसरा मामला है जब चीता की मौत हुई है।
इससे पहले नमीबिया से लाई गई साशा नाम के चीता की किडनी खराब होने की वजह से 27 मार्च को मौत हो गई थी।
भारत में चीतों को फिर से बसाने की कोशिश में यह बहुत बड़ा झटका है।
उदय की मौत के कारणों की बात करें तो अभी तक कारण स्पष्ट नहीं है।
मध्य प्रदेश के चीफ कंज़रवेटर ऑफ फॉरेस्ट ने स्टेटमेंट में कहा कि साउथ अफ्रीका से कूनो लाए गए उदय नाम के चीता की ईलाज के दौरान मौत हो गई है। कारणों का अभी पता नहीं लगाया जा सका है। उदय आज सुबह से ही बीमार लग रहा था, लगातार नज़र रखने के बाद चीता को ट्रैंक्विलाईज़ किया गया था, और उसे सभी ज़रुरी उपचार दिए गए, लेकिन चीता को बचाया नहीं जा सका.
चीता की क्रिटिकल कंडीशन को देखते हुए उसे आईसोलेशन वॉर्ड में लाया गया था, ट्रीटमेंट के बाद शाम चार बजे उसकी मौत हो गई।
आपको बता दें कि फरवरी में भारत सरकार साउथ अफ्रीका से 12 चीते भारत लेकर आई थी। इससे पहले 8 चीते नमीबिया से लाए गए थे।
कूनो नैशनल पार्क में अब चीतों की कुल संख्या 22 हो गई है। मार्च में सियाया नाम की चीता ने 4 शावकों को जन्म भी दिया है।
सियाया 17 सितंबर को नमीबिया से भारत आई थी। सियाया के बच्चे अभी प्री रीलीज़ एंक्लोज़र में रह रहे हैं। जैसे ही सियाया इन्हें खुले में लेकर आएगी इन शावकों के जेंडर का पता लगेगा।
भारत में 1945 में ही चीते खत्म हो गए थे। इसके बाद सरकार ने चीतों को फिर से भारत में बसाने के उद्देश्य से विश्व का पहला इंटर कॉटीनेंटल ट्रांस्लोकेशन किया है।
इस प्रोजेक्ट पर दुनिया भर की नज़र है, अगर यह प्रोजेक्ट सफल होता है तो यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धी होगी,और दुनिया भर में विलुप्त हो रही जानवरों की प्रजातियों को बचाने के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।
चीतों को दूसरे महाद्वीप से भारत लाकर बसाने के स्कीम का कई विशेषज्ञ विरोध भी कर चुके हैं।
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