26 January Special: एक क्लिक में देखें किसान आंदोलन की 26 अनदेखी तस्वीरें
By Ground report
/ January 26, 2021 January 26, 2021
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आज ही के दिन 72 वर्ष पहले 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान लागू हुआ था और देश में संविधान स्थापना दिवस के रूप में हम हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं। इस साल यानी वर्ष 2021 में 72 वां गणतंत्र दिवस सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस मौके पर दिल्ली स्थित इंडिया गेट ही नहीं बल्कि देश भर में जगह-जगह भव्य आयोजन और परेड निकलती है। लेकिन ये शायद पहलना मौका है जब 3 कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान भी ट्रेक्टर परेड निकाल रहे हैं। (26 January Special: 26 unseen pictures of kisan andolan farmers protest Delhi look in one click)
उनकी ये परेड एक ओर जहां देश को सलाली दे रही है तो वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार की अलोकंतात्रिक नीतियों का विरोध एक नए अंदाज में करती नजर आएगी। परेड में अब तक देश की तीनों सेना (थल सेना, नौ सेना, वायु सेना) के दल भाग लेते हैं साथ ही देश के विभिन्न राज्यों की झलक दिखाती हुई झांकियों का भी प्रदर्शन और रंगारग प्रस्तुति होती है लेकिन ये पहला मौका है जब किसान ट्रेक्टर परेड का नजारा भी देखने को मिल रहा है। (26 January Special: 26 unseen pictures of kisan andolan farmers protest Delhi look in one click)
खैर… इन सब से इतर, 26 जनवरी के अवसर पर दिल्ली की सभी सीमाओं पर बीते कई दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों की 26 अनदेखी तस्वीरें देखिए और एक गणतांत्रिक और लोकतांत्रिक देश में आजादी के बाद सबसे लंबे चलने वाले किसान आंदोलन को तस्वीरों के माध्यम से करीब से समझने की कोशिश कीजिए। जहां किसान करीब 2 महीने से कड़कड़ाती सर्दी में सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। इन तस्वीरों को ग्राउंड रिपोर्ट के लिए कोमल बड़ोदेकर ने कवर किया है। (26 January Special: 26 unseen pictures of kisan andolan farmers protest Delhi look in one click)
दिल्ली की गाजीपुर बॉर्डर स्थित हाइवे पर पुलिस द्वारा लगाई गई बेरिकेडिंग। जिस बेरिकेड को सरकार ने क्रेन से बांध रखा है, उस पर किसानों ने अपने स्लोगन लिख दिए हैं।किसान आंदोल में कई बुजुर्ग किसान भी मौजूद हैं, जिनका जोश किसी नौजवान से कम नहीं। ये किसान लंगर में सेवा दे रहे हैं। किसान आंदोलन में कुछ बच्चे कचरा बीनते और साफ सफाई करते भी नजर आए।एक शख्स बीजेपी और आरएसएस का विरोध कुछ इस अंदाज में करते दिखा। किसान आंदोलन में बच्चे भी किसी से कम नहीं। ये भी ट्रेक्टर परेड की तैयारी में दिखे।जगह-जगह किताबों के स्टाल भी लगे हैं। ऐसे ही किताब के एक स्टाल पर एक किताब दिखी, जिसका शीर्षक था आर.एस.एस को पहचाने। ये किताब कुछ लोगों के बीच चर्चा का केंद्र है।आप यूं तो कई बार लाइल में लगे होंगे, लेकिन ये लाइन बेहद अनोखी है। यहां लोग अपनी-अपनी दाड़ी मतलब की शेविंग करवाने के लिए कतार में लगे हैं। यहां किसानों के लिए कई तरह की फ्री सेवा है। ये भी उन्ही में से एक है।किसान आंदोलन की एक तस्वीर ये भी है।आंदोलन कर रहे किसानों के लिए 24 घंटे लंगर सेवा है। यहां एक जगह गर्मागर्म पूड़िया बनती दिखी।ये तस्वीर उन राजनीतिक लोगों के लिए हैं जो हिन्दू-मुस्लिम भाई चारे पर सवाल उठाते हैं। मुस्लिम समुदाय द्वारा भी यहां किसान भाइयों के लिए लंगर लगाया है। दूर-दूर तक सिर्फ किसान और उनके तंबू ही नजर आते हैं। अगर आप कभी कुंभ या महाकुंभ गए हैं तो आपको ये नजारा वहां कि याद दिला सकता है। आप कह सकते हैं कि ये किसानों का महाकुंभ है जो काले कानून वापस होने के बाद ही सफल होगा।जाते-जाते कुछ बिजनौर के किसान साथी भी मिले। पूरे उत्साह और जोश के साथ आंदोलन में शामिल हुए। ये भी पिछले कई हफ्तों से यहां ट्रेक्टर पर तूंब बांधकर डटे हुए हैं। ये किसान सबसे आकर्षक लगें। बेहद अलग अंदाज में किसान आंदोलन में अपना समर्थन दे रहे हैं। इन्हें देखकर लगता है परेड की पूरी तैयारी है। इस तस्वीर को ध्यान से देखिए और समझने की कोशिश कीजिए। ये कैंडिड तस्वीर है। नए भारत में कई युवा मोबाइल स्क्रोल अप करते हैं लेकिन ये किसान किताबों में इस कदर डूबे हैं जैसे आज का कोई नौजवान कैंडिक्रश गेम खेल रहा हो।ये तस्वीर जितनी मासूमियत भरी और क्यूट है। किसान आंदोल में छोटे-छोटे बच्चे भी मेहनतकश किसानों के साथ मेहनत करते नजर आए। किसान आंदोलन में आए छोटे-छोटे बच्चों के लिए सावित्री बाई फुले पाठशाला भी लगाई गई है। ये एक बढ़िया पहल है।और कुछ बच्चे भी यहां भी… पाठशाला नहीं जाना?गाजीपुर बॉर्डर पर डटे किसान। जब तक काले कानून वापस नहीं, किसानों की घर वापसी नहीं। अपने किसान नेता की बातों को ध्यान से सुनते दो किसान। सर्दी तो बहुत है लेकिन किसान हिमालय की तरह डटे हुए हैं। किसान आंदोलन में एक किसान गंभीर मुद्रा में। इन्हें देखकर लगता है गणतंत्र दिवस की तैयारी जोरो पर है। बच्चे भी गणतंत्र दिवस की तैयारी में पीछे नहीं… ये पगड़ी डिमांड में है।… और ये ट्रेक्टर अब सीधे राजपथ पर ही रुकेगा। जय जवान-जय किसान का नारा देते कुछ किसान साथी। …और ये आग सीने में भी जल रही है।आपको देखकर लगेगा कि ये बस है… लेकिन ये शेल्टर होम है… इस बस के अंदर से बैठने वाली सीटें हटा दी गई है और सोने के लिए गद्दे बिछाए गए हैं।ये भी परेड की तैयारी में है। ये किसान लाल किला फतह करने की तैयारी में नजर आते हैं।
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